महाराष्ट्र में मंदिर खोलने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) में ठन गई है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में मंदिर न खोलने के महाराष्ट्र सरकार के फ़ैसले पर ऐतराज़ जताते हुए एक कड़ा ख़त उद्धव ठाकरे को लिखा था और उनसे पूछा था कि आप कब से सेक्यूलर हो गए. कोश्यारी ने 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे सरकार के धार्मिक स्थल न खोलने के फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए पूछा था, "मुख्यमंत्री जी क्या आपको कोई दैवीय आदेश मिल रहा है कि आप धार्मिक स्थलों को खोलने के निर्णय लगातार टालते जा रहे हैं. या फिर आप अचानक सेक्यूलर बन गए हैं. वही सेक्यूलर जिससे आप एक समय पर बहुत नफ़रत करते थे?"
इसके जवाब में उद्धव ठाकरे ने भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को कड़े लहजे वाली चिट्ठी लिखी है. इसमें उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से पूछा, "राज्यपाल महोदय, क्या आप ये कहना चाहते हैं कि धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाज़त देना ही हिंदुत्व है और उन्हें खोलने की इजाज़त न देना सेक्यूलर होना है. सेक्यूलरिज़्म की शपथ तो आपने भी ली है, जब आप इस राज्य के राज्यपाल बने थे. क्या आप उस शपथ में विश्वास नहीं रखते?"
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में मंदिर न खोलने के महाराष्ट्र सरकार के फ़ैसले पर ऐतराज़ जताते हुए एक कड़ा ख़त उद्धव ठाकरे को लिखा था. और उनसे पूछा था कि आप कब से सेक्यूलर हो गए. कोश्यारी ने 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी. @CMOMaharashtra @BSKoshyari pic.twitter.com/zN1Qw3rpJQ
— The Last Breaking (@thelastbreaking) October 13, 2020
उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को ये भी लिखा कि उनकी सरकार, मंदिरों समेत राज्य के सभी धार्मिक स्थल खोलने पर विचार तो कर रही है. लेकिन, सरकार की पहली प्राथमिकता इस महामारी के दौरान जनता की सुरक्षा करना है. ऐसे में धार्मिक स्थल खोलने का निर्णय इसी बात को ध्यान में रख कर लिया जाएगा.
उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को लिखा कि उन्हें हिंदुत्ववादी होने के लिए किसी के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है. जैसे अचानक लॉकडाउन लगा देना ग़लत था. वैसे ही अचानक सबकुछ अनलॉक करना भी ग़लत फ़ैसला होगा और वो सोच-समझकर ही ये निर्णय लेंगे कि धार्मिक स्थल कब खोला जाना ठीक होगा.
उद्धव ठाकरे ने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के राज्यपाल से मिलने को लेकर भी भगत सिंह कोश्यारी पर अटैक किया. उन्होंने राज्यपाल को अपनी चिट्ठी में लिखा, "जो लोग मेरे राज्य की राजधानी मुंबई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं, उनका हंसते-हंसते स्वागत करना भी मेरे हिसाब से हिंदुत्व नहीं है."
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार है. बीजेपी उद्धव सरकार पर हिंदुत्ववादी राजनीति से मुंह फेरने के इल्ज़ाम लगाती रही है. लेकिन, सीधे राज्यपाल का अपनी चिट्ठी में हिंदुत्ववादी और सेक्यूलर जैसे लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करते हुए चिट्ठी लिखना एक नए विवाद को जन्म देने जैसा है. राज्यपाल एक संवैधानिक पद है. इस पर बैठने से पहले कोई भी व्यक्ति संविधान और सेक्यूलरिज़्म की रक्षा का वचन लेता है.
लेकिन, भगत सिंह कोश्यारी ने जो चिट्ठी लिखी है, उसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या संविधान और सेक्यूलरिज़्म की शपथ लेने वाला व्यक्ति केंद्र में सत्तारूढ़ दल के एजेंट की तरह बर्ताव करते हुए एक राजनीतिक दल के नेता जैसा बर्ताव करे, तो ये उचित है. वैसे ये पहली बार नहीं है, जब राज्यपाल पर किसी एक दल के एजेंट बनने का आरोप लगा हो.
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