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भारत-चीन सीमा पर तनाव बरकरार, आर्मी ने की सर्दियों में मोर्चेबंदी की तैयारी

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 28 Sep, 2020 12:27 am

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होने की उम्मीद घटती जा रही है. संकेत ऐसे हैं कि दोनों ही देशों की सेनाएं, दुर्गम पहाड़ी इलाक़ों पर सर्दियों में भी जमी रहेंगी. इंडियन आर्मी ने इसके लिए, अपने भारी हथियार, गोला-बारूद और सैनिकों के लिए रसद की पर्याप्त मात्रा लद्दाख में जमा कर ली है.

भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने भीष्म टैंक यानी T-90 को तैनात किया है. इसके अलावा रूस से ख़रीदे गए T-72 टैंक भी लद्दाख मोर्चे पर तैनात किए गए हैं. इंडियन आर्मी का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबे समय की मोर्चेबंदी के लिए इंडिया की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. सरहद तक साज़-ओ-सामान पहुंचाने के काम की निगरानी ख़ुद आर्मी चीफ़ जनरल एम एम नरवणे कर रहे हैं.

दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच पिछले हफ़्ते हुई मीटिंग में सीमा से सैनिक पीछे हटाने को लेकर सहमति नहीं बनी थी. सूत्रों के अनुसार तब, इंडियन मिलिट्री कमांडर्स ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सीधे शब्दों में बता दिया था कि अगर चीन के सैनिक भारतीय सीमा में क़दम रखते हैं, तो अब सीधे गोली चलेगी.

इससे पहले 29/30 अगस्त की रात जब चीन के सैनिकों ने फिर से इंडिया का बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश की थी, तब भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग लेक के दक्षिणी छोर, मुकपारी, स्पैंगुर गैप और और खुरनाक फोर्ट में ऊंची चोटियों पर डेरा जमा लिया था. जिसके बाद घुसपैठ के लिए आए चीनी सैनिकों ने हवा में गोलियां चलाई थीं. 

इस महीने की शुरुआत में भारत और चीन के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच रूस की राजधानी मॉस्को में भी मीटिंग हुई थी. जिसमें सीमा विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत से हल करने पर सहमति जताई गई थी.

लेकिन, ज़मीनी काम कोर कमांडर्स पर छोड़ दिया गया था. विदेश मंत्रियों की मीटिंग के बाद इंडिया और चाइना के कोर कमांडर्स की मीटिंग 21 सितंबर को हुई थी. ये मीटिंग क़रीब 14 घंटे तक चली थी. लेकिन, बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था. हालांकि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अब सीमा पर और सैनिक तैनात नहीं किए जाएंगे.

इस समय पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के पचास पचास हज़ार से अधिक सैनिक सीमा पर तैनात हैं. दोनों ही देशों ने अपने भारी हथियार जैसे कि मशीन गन तोपें, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, मैन पोर्टेबल रॉकेट लॉन्चर, ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, फाइटर प्लेन और अटैक हेलीकॉप्टर सीमा पर तैनात कर रखे हैं.

ख़बर ये भी है कि चाइना ने कैलाश मानसरोवर झील के पास अपनी डोंग फेंग-21 मिसाइलें भी तैनात कर रखी हैं. जिनकी रेंज दो हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा है. ज़ाहिर है चीन के इरादे ठीक नहीं हैं. इसे देखते हुए भारत ने भी अपने आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लेकर भारी टैंक T-90 तक तैनात कर दिया है. इसके अलावा भारत के सुखोई-30 MKI और मिग-29 विमानों को तैनात कर रखा है. 

भारत के जवानों को ठंड में पहाड़ी इलाक़ों में तैनाती के लिए सभी ज़रूरी सामान मुहैया कराए जा रहे हैं.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद इस साल मई महीने में शुरू हुआ था, जब चीन के सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी. इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक भिड़ंत में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और चाइना के स्टेट काउंसलर वैंग यी के बीच सेनाओं के डिसएंगेजमेंट को लेकर सहमति बनी. लेकिन, चीन ने इस सहमति का पालन करते हुए अपने सैनिक पीछे नहीं हटाए. तब से दोनों देश लगातार अपने अपने सैनिकों की संख्या सीमा पर बढ़ाते जा रहे हैं.

पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग लेक के इर्द गिर्द तनातनी के अलावा चीन और भारत के बीच डेपसांग प्लेन्स पर भी तनाव है. ये वो इलाक़ा है, जहां से भारत की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग़ ओल्डी की ओर रास्ता जाता है. डेपसांग प्लेन्स में चाइना ने भारत की गश्त का रास्ता रोक रखा है. इसकी जानकारी ख़ुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दी थी. 

अब भारत की तैयारी से साफ़ है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी वैसी ही स्थिति लंबे समय तक बनी रहेगी, जैसे हालात भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर देखने को मिलते रहे हैं.

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