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'भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है', नीति आयोग के CEO के बयान पर बवाल

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 08 Dec, 2020 10:09 pm

नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. स्वराज्य पत्रिका के एक कार्यक्रम में अमिताभ कांत ने कहा कि, ' खनन, कोयला, श्रम और कृषि क्षेत्र में ये सुधार करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत होती है. अभी भी देश में बहुत से सुधारों की ज़रूरत है.' अमिताभ कांत ने कहा कि, 'भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है. ऐसे में सुधार करना बहुत मुश्किल हो जाता है.'

अमिताभ कांत का ये बयान समाचार एजेंसी पीटीआई ने अपनी कॉपी में प्रमुखता से छापा. जिसके बाद नीति आयोग के CEO का ये बयान देश के प्रमुख वेबसाइट पर छप गया और सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. इसके बाद अमिताभ कांत ने ट्वीट करके अपनी सफ़ाई में कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था.

लेकिन, अमिताभ कांत का वो वीडियो भी वायरल हो गया, जिसमें वो यही बात कहते सुनाई दे रहे हैं कि 'भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है'.

हालांकि, अमिताभ कांत की सफ़ाई आने के बाद से ज़्यादातर वेबसाइट ने अपने यहां से अमिताभ कांत के विवादास्पद बयान के बाद ये ख़बर हटा ली. लेकिन, सोशल मीडिया पर इस हवाले से सरकार के इरादों पर सवाल उठाए जाने लगे.

किसानों के आंदोलन के चलते सरकार पहले से ही कठघरे में है. किसान संगठन मोदी सरकार पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं कि उसने तानाशाही से बिना किसी से सलाह-मशविरा किए बग़ैरह ये क़ानून संसद से आनन-फानन में पास करा लिए. जिसके चलते आज किसान दिल्ली की घेरेबंदी करके बैठे हैं. विपक्षी दलों ने भी ये क़ानून पास होने के दौरान यही आरोप लगाए थे. क्योंकि, जब विपक्षी दल राज्यसभा की बैठक का बहिष्कार कर रहे थे, जब ये क़ानून राज्यसभा से पास कराए गए थे.

अब सरकार किसानों के साथ बातचीत से मसले को सुलझाने की कोशिश कर रही है. और क़ानून के कुछ प्रावधान बदलने के भी संकेत सरकार की ओर से दिए गए हैं. लेकिन, अमिताभ कांत के बयान ने उन आशंकाओं और चिंताओं को बढ़ा दिया है कि सरकार बिना सलाह-मशविरा किए, सभी पक्षों की राय लिए ही तानाशाही तरीक़े से अपनी मनमानी चला रही है.

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