अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी ढ़ांचा ढहाने के केस के सभी आरोपियों को आज लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) को जारी किया. इसमें तीनों सेनाओं को उनकी अभियान संबंधी जरूरतों के अनुसार हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और परिवहन विमानों जैसे सैन्य उपकरणों और प्लेटफॉर्म को लीज (किराए) पर लेने की अनुमति प्रदान की गई. उधर, सीबीआई कोर्ट के जिस जज ने दशकों से चलते आ रहे बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है वो आज ही के दिन सेवानिवृत भी हो रहे है. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंगरेप का शिकार हुई 20 वर्षीय दलित युवती की मौत के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संज्ञान लेते हुए योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात कर दोषियों के खिलाफ कठोरतम कर्यवाही के निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने UPSC Civil Services परीक्षा को स्थगित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. पढ़ें दिन भर की बड़ी खबरें..
1. लालकृष्ण आडवाणी समेत सभी आरोपी दोषमुक्त, सभी मामलों से मिली 'मुक्ति
1992 में अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी ढ़ांचा (Babri Masjid) ढहाने के केस के सभी आरोपियों को आज लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. इसलिए किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता. बता दें कि स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव ने 16 सितंबर को सभी 32 जीवित आरोपियों को फ़ैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया था. वहीं, आज सभी 32 आरोपियों की मौजूदगी में उन्हें बरी कर दिया गया है. मालूम हो कि ये मामला पूरे 28 सालों तक कोर्ट में चलता रहा है जिसमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी (Mruli Manohar joshi) और उमा भारती (Uma Bharti), यूपी के पूर्व चीफ़ मिनिस्टर कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा मुख्य आरोपियों में शामिल थें. फ़ैसले से एक दिन पहले उमा भारती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda)को चिट्ठी लिख कर कहा था कि चाहे फांसी हो जाए, लेकिन वो ज़मानत की मांग नहीं करेंगी. उमा भारती इस समय कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और उत्तराखंड के एक अस्पताल में भर्ती हैं. वहीं, कल्याण सिंह भी कोरोना पॉज़िटिव हैं और उनका भी इलाज चल रहा है. जिस समय बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया गया था, उस समय कल्याण सिंह ही यूपी के चीफ मिनिस्टर थे. उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे की शुरुआत पिछले साल सितंबर महीने में ही हुई थी, जब राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल ख़त्म हुआ था.
2. राजनाथ ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया जारी की, सेना को अब जल्दी मिलेंगे हथियार
भारत के अपने पड़ोसी देशों से बिगड़ते रिश्ते, बढ़ती चुनौतियों से निपटने और अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) को जारी किया. इसमें तीनों सेनाओं को उनकी अभियान संबंधी जरूरतों के अनुसार हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और परिवहन विमानों जैसे सैन्य उपकरणों और प्लेटफॉर्म को लीज (किराए) पर लेने की अनुमति प्रदान की गई. नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) के तहत भारत को सैन्य प्लेटफॉर्म का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने, रक्षा उपकरणों की खरीद में लगने वाले समय को कम करने और तीनों सेनाओं द्वारा एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति देने जैसी विशेषताओं पर जोर देने की बात कही गई है. नई नीति के तहत सरकार द्वारा ऑफसेट दिशा-निर्देश को भी बदला गया है और भारत में उत्पाद करने वाली बड़ी रक्षा कंपनियों को प्राथमिकता दी गई है. बता दें कि ऑफसेट नीति में हुए बदलाव के तहत अब विदेशी रक्षा उत्पादन इकाइयों को 300 करोड़ रुपये से अधिक के सभी कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारत में ही कुल कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत खर्च करना होता है. उन्हें ऐसे कलपुर्जों की खरीद, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण या अनुसंधान और विकास इकाइयों (Reasearch and Development Unit) की स्थापना करके करना होता है. इस नीति का मकसद देश में रक्षा उपकरणों के निमार्ण को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश हासिल करना है.
3. बाबरी विध्वंस केस में फैसला सुनाते ही जज सुरेंद्र यादव रिटायर
लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले ने 28 साल से चल रहे केस पर विराम लगा दिया है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सीबीआई कोर्ट के जिस जज ने दशकों से चलते आ रहे बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है वो आज ही के दिन सेवानिवृत भी हो गए. इस केस के 32 आरोपियों पर फैसला लिखने के साथ ही सुरेंद्र कुमार यादव अपने कार्यकाल से भी मुक्त हो गए. बता दें कि जज सुरेंद्र कुमार यादव उन चंद लोगों में शामिल जो बाबरी मस्जिद गिराने से लेकर अब तक न्यायालय का हिस्सा रहे है. उनकी पहली तैनाती अयोध्या में ही हुई थी. बाबरी विध्वंस 1992 में हुआ था. इससे दो साल पहले 8 जून 1990 को ही सुरेंद्र कुमार यादव ने बतौर मुनसिफ अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी. सुरेंद्र कुमार यादव की पहली नियुक्ति अयोध्या में हुई थी और 1993 तक वो यहां रहे थे. जब कारसेवकों और बीजेपी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था, उस वक्त सुरेंद्र कुमार यादव की पोस्टिंग भी अयोध्या में ही थी और आज वो मौका आया है जब उन्होंने इस बड़े केस पर बतौर सीबीआई विशेष कोर्ट जज फैसला सुनाया.
4. हाथरस सामूहिक दुष्कर्मः पीएम मोदी ने सीएम योगी से की बात, जांच के लिए SIT गठित
उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंगरेप का शिकार हुई 20 वर्षीय दलित युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. गैंगरेप के बाद आरोपियों ने उसकी जीभ काट दी थी. इतना ही नहीं उसकी रीढ़ क हड्डी तोड़ दी थी. पीड़िता की मौत के बाद से जनता का गुस्सा प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा है. सोशल मीडिया पर कई बॉलीवुड सेलेब्स से लेकर विपक्षी पार्टियों ने योगी सराकार से जल्द इंसाफ दिलाने की मांग की है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात कर दोषियों के खिलाफ कठोरतम कर्यवाही के निर्देश दिए. प्रधानमंत्री की पहल की जानकारी खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने ही दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हाथरस की घटना पर वार्ता की है और कहा है कि दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए''
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने हाथरस की घटना पर वार्ता की है और कहा है कि दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 30, 2020
वहीं दलित विरोधी, सुरक्षा में कमी जैसे तमाम आरोपो के बाद दबाव में आए योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है.
हाथरस में बालिका के साथ घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दोषी कतई नहीं बचेंगे।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 30, 2020
प्रकरण की जांच हेतु विशेष जांच दल का गठन किया गया है। यह दल आगामी सात दिवस में अपनी रिपोर्ट देगा।
त्वरित न्याय सुनिश्चित करने हेतु इस प्रकरण का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा।
5. UPSC Civil Services 2020: तय समय पर होगी सिविल सेवा परीक्षा, SC ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने UPSC Civil Services परीक्षा को स्थगित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने यूपीएससी की उन दलीलों को स्वीकार किया कि अब परीक्षा टालने का असर अगले साल की परीक्षा पर भी पड़ेगा. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह वैश्विक महामारी के कारण परीक्षा नहीं दे पाने वाले उन लोगों को एक और मौका देने पर विचार करे, जिनके पास परीक्षा देने का इस बार आखिरी अवसर है. यूपीएससी सिविल सर्विस प्री परीक्षा 2020 के स्थगन को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि परीक्षा स्थगित नहीं हो सकती है. इससे दूसरी परीक्षाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा. एडवोकेट अनुश्री कपाड़िया के तर्क रखने पर कोर्ट ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों से आने वाले उम्मीदवारों के लिए परिवहन की समस्या है. इस पर कोर्ट ने कहा है कि यह नया नहीं है. यह हर जगह की समस्या है.
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