4 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्वीट कर कहा, ''युवाओं को अब रोजगार की गारंटी मिलने वाली है, हर घर में एक युवा के पास नौकरी होगी, रोजगार आयोग का गठन होगा.'' सरकार के ट्वीट के बाद अखबारों में खबरें तो छप गई लेकिन युवाओं पर उसका असर नहीं हुआ क्योंकि रोजगार की मांग कर रहे युवाओं को ट्विटर से फुरसत नहीं मिल रही है. शिक्षक भर्ती के उम्मीदवार दिन रात ट्विटर पर योगी जी को यह बताने में लगे हुए हैं कि 1 सप्ताह में कितने दिन होते हैं. योगी आदित्यनाथ ने 19 सितंबर 2020 को 31,661 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए थे. आज 18 दिन हो गए हैं, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर शासन-प्रशासन की ओर से कोई सूचना नहीं आई है. नियुक्ति का इंतजार कर रहे उम्मीदवार आक्रोशित भी हैं और लाचार भी. लेकिन अब इन उम्मीदवारों के लिए भी कुछ नया नहीं है. 2 साल से नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों ने 1 सप्ताह वाला निर्देश पहले भी सुना है. ऐसा कोई पहली बार तो हो नहीं रहा, हमारे योगी जी कई बार 1 सप्ताह में भर्ती को पूरा करने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन हर बार स्थिति जस की तस ही रहती है. कुछ लोगों को तो लगता है कि योगी जी को पता ही नहीं है कि एक सप्ताह में कितने दिन आते हैं. इस भर्ती के उम्मीदवार अखिलेश के ट्वीट को ही ले लीजिए. अखिलेश ट्वीट कर लिखते हैं, ''मुख्यमंत्री जी और बेसिक शिक्षा मंत्री जी से मैं पूछना चाहता हूं कि एक सप्ताह में कितने दिन होते है? आखिर सांत्वना ही देंगे आप सब या कुछ काम भी होगा.''
मुख्यमंत्री जी और बेसिक शिक्षा मंत्री जी से मैं पूछना चाहता हूं कि एक सप्ताह में कितने दिन होते है?
— Akhilesh yadav (@yadavakhilesh51) October 6, 2020
आखिर सांत्वना ही देंगे आप सब या कुछ काम भी होगा#Speakup_for_31661Teachers@myogiadityanath @drdwivedisatish @Aamitabh2 @r9_tv @UPGovt pic.twitter.com/Rrad9F5hUR
अखिलेश का सवाल वाजिब तो है लेकिन एक सूबे के मुखिया को यह तो पता ही होगा कि 1 सप्ताह में कितने दिन होते हैं. शायद उनके अधिकारियों को मुख्यमंत्री के निर्देश का महत्व नहीं पता है. योगी जी ने तीसरी बार कहा है कि एक सप्ताह में भर्ती पूरी की जाएगी. अब इससे तो दो चीजें ही निकलकर आती हैं. पहली यह कि अधिकारी मुख्यमंत्री के निर्देश को हवा में लेते हैं और दूसरी यह कि तथाकथित रामराज्य के सीएम साहब झूठ बोलते हैं. मैं मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप नहीं लगा रहा, आप ट्विटर पर जाइये और हैशटैग #झूठ_बोलता_है_योगी सर्च कर खुद ही देख लीजिए कि जनता क्या कह रही है.
आक्रोश सिर्फ शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों में ही नहीं है. उर्दू भर्ती के उम्मीदवार भी काफी समय से नियुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. योगी सरकार ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी सरकार ने शिक्षकों को नियुक्ति नहीं दी और मामला फिर जाकर सुप्रीम कोर्ट में फस गया. इसी तरह यूपी में एक आयोग है जिसका नाम है उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC). इस आयोग के अध्यक्ष प्रवीण कुमार हैं. यह देश का ऐसा आयोग है जिसने एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड बना रखा है. जी हां, यह एकलौता ऐसा आयोग है जिसकी 24 भर्तियां अटकी हुई हैं. जब योगी जी सत्ता में आए तो उन्होंने इस आयोग का पुनर्गठन किया था. इस आयोग के जरिए सरकार की पहली भर्ती युवा कल्याण अधिकारी के पदों पर निकाली गई, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है. एक तरह योगी जी रोजगार आयोग बनाने और नौकरी की गारंटी देने की बात कर रहे हैं तो दूसरी और उनकी सरकार की पहली भर्ती ही अब तक पूरी नहीं हो सकी है. हाल ही यूपी को आत्मनिर्भर बनाने और सवा करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही गई. योगी जी रोजगार को लेकर बड़ी बड़ी बाते तो कर रहे हैं लेकिन असल में रोजगार देना योगी जी के बस का नहीं है... और अगर होता तो सहायक शिक्षक भर्ती, उर्द शिक्षक भर्ती, ग्राम पंचायत अधिकारी, युवा कल्याण अधिकारी, AGTA, गन्ना पर्यवेक्षक और अन्य भर्तियां अब तक पूरी हो चुकी होती..
Leave Your Comment