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UP B.P.Ed: शारीरिक शिक्षा/खेल अनुदेशक भर्ती के उम्मीदवारों को नहीं मिली नियुक्ति, कोर्ट-कोर्ट खेल रही है सरकार

Archit Gupta

लखनऊ 28 Sep, 2020 02:05 pm

उत्तर प्रदेश में रोजगार का हाल बेहाल है. सरकार वादे पर वादे कर रही है मगर एक भी वादा पूरी नहीं कर पा रही. यूपी में 69 हजार शिक्षकों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली. लेकिन 69 हजार के अलावा भी कई भर्तियां हैं जो काफी समय से अटकी हुई हैं. यूपी में अधिकतर भर्तियां कोर्ट में अटकी हुई हैं. यूपी में उच्चप्राथमिक स्कूलों में 32,022 शारीरिक शिक्षा/खेल अनुदेशक भर्ती के उम्मीदवारों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली है. 32,022 पदों पर भर्ती के डेढ़ लाख से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया था. काउंसलिंग के बाद मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों का चयन कर उनकी नियुक्ति होनी थी, लेकिन सत्ता प्ररिवर्तन होने के बाद 2017 में इस भर्ती पर रोक लग गई. उम्मीदवार इलाहाबाद हाईकोर्ट गए और सिंगल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद सरकार ने डबल बेंच में अपील की, लेकिन इस बार भी कोर्ट का फैसला उम्मीदवारों के पक्ष में ही रहा. इसके बाद सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जिसे खारिज कर दिया गया है और सरकार को इस भर्ती को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया. लेकिन सरकार फिर भी नहीं मानी और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. अब भर्ती सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और डेढ़ लाख से ज्यादा उम्मीदवार भर्ती को पूरा करवाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. 

बी पी एड संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष धीरेन्द्र यादव कहते हैं, ''पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 32022 पद पर खेल एवं शारीरिक शिक्षा अनुदेशक भर्ती प्रक्रिया को प्रारंभ किया. सत्ता परिवर्तन के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 23 मार्च 2017 को गतिमान समस्त भर्तियों को अग्रिम आदेश तक रोक दिया गया. भर्ती प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए हम सभी माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाते हैं. माननीय उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच, डबल बेंच ,अवमानना के तहत आदेश, सरकार की स्पेशल अपील डबल बेंच से खारिज होने के बाद बेरोजगारों से लड़ने के लिए सरकार के द्वारा सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल कर दी गयी. जबकि नई शिक्षा नीति में शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय का दर्जा दिया गया है एवं प्रधानमंत्री जी के द्वारा खेल योग फिट इण्डिया जैसे अनेकों प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं, उसके बाद भी राजनीतिक द्वेष के कारण वर्तमान सरकार प्रदेश के बीपीएड युवाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. सरकार की इस दोहरी नीति के कारण हम सभी का भविष्य अंधेरे में हैं, हम सभी परिवार के भरण-पोषण के लिए इधर उधर भटक रहे है.''

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2016 में निकली भर्ती ऐसे कोर्ट में जाकर अटकी...

- 19 सितंबर 2016 में उच्चप्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा/खेल अनुदेशक के 32,022 पदों पर भर्ती निकलती है.

- इसके लिए 20 अक्टूबर 2016 से आवेदन मांगे जाते हैं, प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इसके बाद आदर्श आचार संहिता लग जाती है.

- 17 मार्च 2017 को सचिव परिषद ने काउंसलिंग की समय सारिणी जारी की। जिसमे 4 अप्रैल 2017 प्रथम एवं 9 अप्रैल 2017 को द्वितीय काउंसलिंग के बाद 12 अप्रैल को नियुक्ति देनी की बात कही गई थी.

- लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही सभी भर्तियों पे समीक्षा के नाम पर 23 मार्च 2017 को रोक लगा दी गयी.

- 3 नवंबर 2017 को बीपीएड के उम्मीदवार इलाहाबाद हाईकोर्ट में चले जाते हैं और कोर्ट से सरकार को आदेश मिलता है कि वह 2 महीने में भर्ती को पूरा करें.

- सरकार डबल बेंच में अपील करती है जहां 12 अप्रैल 2018 को सरकार की अपील ख़ारिज करते हुए पुनः 2 माह में भर्ती करने का आदेश जारी होता है.

- फ़रवरी 2019 में सरकार हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करती है जो कि 25 मार्च 2019 को ख़ारिज कर दी जाती है.

- जुलाई 2019 में सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करती है जो कि अभी पेन्डिंग है जिसकी डेट 14 जुलाई 2020 को लगी है.

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