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UPSSSC VDO: रिजल्ट के 1 साल बाद भी नहीं हो सका DV, नौकरी के लिए भटक रहे चयनित उम्मीदवार

Archit Gupta

26 Aug, 2020 09:34 pm

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) की ग्राम पंचायत अधिकारी (VDO) अब तक पूरी नहीं हो सकी है. कुछ महीनों पहले इस भर्ती पर SIT की जांच बैठा दी गई थी, जिसके कारण अब यह भर्ती अटकी हुई है. इस भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट 28 अगस्त 2019 को जारी किया गया था. लिखित परीक्षा के बाद उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होना था. लेकिन रिजल्ट के बाद आज तक आयोग सभी उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन नहीं करा सका. अगस्त 2019 में रिजल्ट आने के बाद से उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन ने एक के बाद एक कई कैलेंडर जारी किए और हर बार डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की तारीख आगे बढ़ाता रहा.

आयोग द्वारा 3 सितंबर 2019 को एक कैलेंडर जारी किया गया जिसमें कहा गया कि अक्टूबर 2019 के चौथे सप्ताह में उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराया जा सकता है. इसके बाद आयोग ने 5 अक्टूबर 2019 को एक कैलेंडर जारी किया, इस कैलेंडर में कहा गया कि नवंबर 2019 में डीवी कराया जा सकता है. इसके बाद तीसरा कैलेंडर 3 दिसंबर 2019 को जारी हुआ जिसमें कहा गया कि जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में डीवी कराया जा सकता है.

चौथा और आखिरी कैलेंडर 31 जनवरी को जारी होता है, इसमें फरवरी में डीवी कराए जाने की बात कही गई.

इन चारों कैलेंडर के लिंक नीचे दिए गए हैं....

कैलेंडर 3 सितंबर 2019

कैलेंडर 5 अक्टूबर 2019

कैलेंडर 3 दिसंबर 2019

कैलेंडर 31 जनवरी 2020

अंत में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने 29 फरवरी 2020 को एक नोटिस जारी किया. इस नोटिस में कहा गया कि 1553 उम्मीदवारों का डीवी 12 मार्च से 2 जून तक कराया जाएगा. बाकी बचे 399 उम्मीदवारों का डीवी जांच के बाद होगा.

12 मार्च से 18 मार्च तक 4 दिन ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हुआ, हर दिन करीब 30 उम्मीदवारों को बुलाया गया. अधिकतर स्टूडेंट्स का लॉकडाउन के कारण डीवी नहीं हो सका. इसी बीच भर्ती पर लगे धांधली के आरोप की चांज सरकार ने एसआईटी को सौंप दी. सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मोती सिंह ने इस भर्ती पर धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी. अब मामला SIT के पास है जिसके कारण भर्ती अटकी हुई है.

इस भर्ती के उम्मीदवार विश्वजीत कहते हैं, ''मेरे पिता जी एक कृषक मजदूर हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी मुझे पढ़ाया. संसाधन के अभाव में स्नातक के आगे पढ़ाई नहीं कर पाया. जीवन यापन के लिए कठिन परिश्रम से परीक्षा पास की. लेकिन नियुक्ति न मिलने पर अभी भी माता-पिता पर बोझ बना हुआ हूं. आज जब अपने आप को बेरोजगार देखता हूं तो शर्म आती है कि मेरी मेहनत और लगन का नतीजा राजनीति की भेंट चढ़ गया.''

निधि कहती हैं, ''मैं लखनऊ में 3000 रुपए के किराए के मकान में रहती हूं। मेरे रहने-खाने और पढ़ाई को लेकर लगभग 10,000 रुपये हर महीने खर्च आता है. पिताजी कठिन परिश्रम करके किसी तरह सरकारी नौकरी की तैयारी करवा रहे हैं कि बेटी भविष्य में नाम करेगी लेकिन समय से नियुक्ति न मिलने कि वजह से मेरी और मेरे पिताजी की उम्मीदें अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहीं हैं. पता नहीं कब पिता जी की मदद कर पाऊंगी.''

शिवम कहते हैं, ''बचपन में मेरा सपना था की मैं एक बड़ा अधिकारी बनू. किंतु पिताजी की प्राइवेट जॉब की वजह से हो रही परेशानियों से परिचित था इसीलिए मैंने दिल्ली या इलाहाबाद जाने की जिद्द नहीं करी. घर पर ही किताबों से पढ़ कर बिना किसी कोचिंग के VDO परीक्षा पास की. परंतु नियुक्ति न मिल पाने की वजह से ये समाज मुझे ताने देता है और मेरी काबिलियत पर संदेह करता है.''

रामप्रकाश कहते हैं, ''मैंने दिन-रात एक करके कठिन परिश्रम किया तब जाकर VDO 2018 की परीक्षा में मेरा चयन हुआ. मैं सदैव पढ़ाई में अव्वल रहा हूं लेकिन आज नियुक्ति के आभाव में राशन की दुकान पर बैठने को मजबूर हूं. कोरोना की वजह से पिता जी की प्राइवेट नौकरी भी चली गयी. अब तो घर चलाने में भी संकट उत्पन्न हो गया है.''

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