हर साल भारत में 1 नवंबर को विश्व उर्दू दिवस मनाया जाता है. प्रसिद्ध शायर डॉ. अल्लामा मुहम्मद इकबाल के जन्मदिन को भारत में उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है. 18वीं सदी के आखिरी सालों में जब निरक्षरता तकरीबन 97 फीसदी थी, तब देश में प्रशासन, कचहरी और बाकी के सभी सरकारी कामकाज की भाषा उर्दू थी. लेकिन बड़ी निराशाजनक बात है कि आज 21वीं सदी में उर्दू पढ़ने और बोलने वालों को एक समुदाय विशेष से जोड़ कर देखा जाता है. उर्दू प्यार और भाईचारे की भाषा है, लेकिन इस भाषा को सिखाने वाले उर्दू शिक्षकों का हाल यह है कि वे रोजी रोटी के लिए भटक रहे हैं.
यूपी में उर्दू भर्ती के उम्मीदवार काफी समय से नियुक्ति को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. यह एक ऐसी भर्ती है जिसके उम्मीदवारों को वैकेंसी निकलवाने से लेकर नियुक्ति तक के लिए धरना देना पड़ा. उर्दू शिक्षक भर्ती के उम्मीदवार नियुक्ति की मांग करते हुए दिन रात ट्विटर पर यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ और अधिकारियों को टैग कर ट्वीट करते रहते हैं.
एक उर्दू शिक्षक रेशमा खातून ट्वीट कर लिखती हैं, ''आदरणीय योगी जी हम सबकी आपसे विनती है कि #4000_उर्दू_भर्ती_पूरी_करो. हम सभी पिछले 4 साल से सरकार से आस लगाए हुए है, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं होती. कृपया हमारी भर्ती बहाल कर हमें न्याय दें..''
#4000_उर्दू_भर्ती_पूरी_करो #urdu4000bharti @myogiadityanath@UPGovt
— Reshma Khatoon (@ReshmaK65175635) November 8, 2020
आदरणीय योगी जी हम सबकी आपसे विनती है कि #4000_उर्दू_भर्ती_पूरी_करो ।हम सभी पिछले 4 साल से सरकार से आस लगाए हुए है लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं होती।कृपया हमारी भर्ती बहाल कर हमें न्याय दें। https pic.twitter.com/MbtUj8h0Kj
साल 2016 में उर्दू शिक्षकों ने रोजगार की मांग करते हुए कई बार धरना दिया. अगस्त 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से मुलाकात की. इसके बाद 15 दिसंबर 2016 को 4000 उर्दू भर्ती का शासनादेश जारी किया हुआ. इस भर्ती के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई. 22 मार्च 2017 को आवेदनकर्ताओं की काउंसलिंग हुई. काउंसलिंग के बाद इन उम्मीदवारों को नियुक्ति की जानी थी, मगर नियुक्ति की जगह 23 मार्च 2017 को बिना किसी उचित कारण के भर्ती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई.
भर्ती निरस्त हो जाने के बाद उम्मीदवार ने सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा से मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई. उम्मीदवारों के अनुरोध के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो उर्दू शिक्षक कोर्ट चले गए. उम्मीदवार इलाहाबाद हाईकोर्ट गए. सिंगल बेंच ने 3/ 11 /2017 को सरकार को आदेश दिया कि वह भर्ती को 2 महीने के अंदर पूरा करें.
लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने इस भर्ती को पूरा नहीं किया. इसी बीच सरकार सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच पहुंच गई जिस पर 12/ 4/ 2018 को आदेश आया. कोर्ट ने फिर से सरकार को 2 महीने में भर्ती को पूरा करने का आदेश दिया.
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उर्दू एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अय्यूब ख़ान कहते हैं, ''हमने कंटेंप्ट एप्लीकेशन डाल दी जिसमें 10/8/2018 को कंटेंप्ट में अदालत के द्वारा उच्च अधिकारियों को फटकार लगाई गयी. अदालत की फटकार से घबराकर 18/8/ 2018 में भर्ती प्रक्रिया को सरकार ने निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया.''
अयुब खान कहते हैं, ''हम यही नही रूके, हमने नवंबर 2018 में उत्तर प्रदेश के सभी जिला अधिकारी, विधायकों व सांसदों के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन भी भेजा. इसी बीच सरकार ने डबल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जिसमें तारीख 25/3/2019 को आदेश हुआ कि सिंगल बेंच के आदेश को ही बहाल रखा जाए अतः भर्ती प्रक्रिया को 2 माह में पूर्ण किया जाए. अंत में जब अवमानना में सरकार फंसती नजर आई तो हम उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट खींच लाई. इसी बीच हम उर्दू शिक्षक भर्ती के आवेदकों ने 17 मार्च 2020 को महामहिम राष्ट्रपति जी और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी को ज्ञापन भेजकर अपनी व्यथा से अवगत कराया.''
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