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Vishwakarma Puja 2020: जानिए विश्‍वकर्मा की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती

PujaPandit Desk

नई द‍िल्‍ली 15 Sep, 2020 09:12 pm

Vishwakarma Puja 2020: सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के सातवें धर्म पुत्र, देवताओं के शिल्‍पकार और वास्‍तुकार भगवान विश्‍वकर्मा (Vishwakarma) के जन्‍म दिन को विश्‍वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के नाम से जाना जाता है. इन्‍द्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्‍वर्ग लोक, पुष्‍पक विमान, श्री हरि विष्‍णु के चक्र, महादेव के त्रिशूल, यमराज के कालदंड और देवराज इंद्र के सिंहासन का निर्माण किसी और ने नहीं बल्‍कि भगवान विश्‍वकर्मा ने किया था. उनके जन्‍म दिन को विश्‍वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) के रूप में भी मनाया जाता है. विश्‍वकर्मा पूजा धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन दफ्तरों, फैक्ट्रियों और कारखानों में भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है. साथ ही औजारों, मशीनों और हथियारों की पूजा भी जाती है. इस दिन कई जगहों पर छुट्टी भी होती है.

विश्‍वकर्मा पूजा कब मनाई जाती है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल सितंबर के महीने में विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है. इस बार विश्‍वकर्मा जयंती 16 सितंबर को है.

विश्‍वकर्मा पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान विश्‍वकर्मा का जन्‍म सूर्य संक्रांति में हुआ था. सूर्य देव जिस समय कन्‍या राशि में प्रवेश करते हैं, उसे कन्‍या संक्रांति कहते हैं. इसी कन्‍या संक्रांति के साथ विश्‍वकर्मा का पूजा मुहूर्त शूरू हो जाता है. भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा करते समय राहु काल का विशेष ध्‍यान रखें. दरअसल, विश्‍वकर्मा पूजा किसी भी स्थिति में राहु काल में नहीं की जाती है.
विश्‍वकर्मा पूजा की तिथि: 16 सितंबर 2020
विश्‍वकर्मा पूजा का संक्राति समय: शाम 7 बजकर 23 मिनट
राहु काल: दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 1 बजकर 53 मिनट
कन्‍या संक्रांति का क्षण: सुबह 6 बजकर 53 मिनट

भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा विधि
विश्‍वकर्मा पूजा के दिन कारखानों और दफ्तर में विश्‍वकर्मा की मूर्ति को सजाया जाता है और विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है. इसके साथ ही औजारों और मशीनों की साफ-सफाई कर उन्‍हें भी तिलक लगाया जाता है और आरती उतारी जाती है. यही नहीं घर पर भी लोग भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा करते हैं. साथ ही वाहन, लैपटॉप, कम्‍प्‍यूटर व औजारों की पूजा करते हैं. विश्‍वकर्मा पूजा के दिन आप इस तरह पूजा कर
सकते हैं:
- विश्‍वकर्मा पूजा के दिन अपने वाहन जैसे कि कार, बाइक या साइकिल की अच्‍छी तरह साफ-सफाई कर लें. अगर जरूरत हो तो रंग-रोगन भी कर सकते हैं.
- इसके बाद स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर लें.
- अब पूजा के स्‍थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाएं.
- सबसे पहले श्री गणेश में दूब रखें और उन्‍हें प्रणाम करें.
- इसके बाद भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करें और पुष्‍प व तुलसी दल अर्पित करें.
- अब भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करते हुए जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाएं.
- इस कमल के ऊपर सात प्रकार के अनाज रखें.
- अब तांबे या मिट्टी के लोटे से जल की कुछ बूंदें लेकर अनाज के ऊपर छिड़कें.
- इसके बाद भगवान विष्‍णु की फोटो या मूर्ति को तिलक व अक्षत लगाएं.
- फिर उन्‍हें फूलों की माला, फूल और ऋतु फल अर्पित करें.
- अब भगवान विश्‍वकर्मा की आरती करें.
- अंत में भोग लगाकर सभी परिजनों में प्रसाद वितरित करें.

भगवान विश्‍वकर्मा का पूजा मंत्र
विश्‍वकर्मा पूजा के दिन मंत्र जाप शुरू करने से पहले 1100, 2100, 5100 या 11000 जप का संकल्‍प लें. इसके बाद हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर इन मंत्रों का जाप करें:
- ॐ विश्वकर्मणे नमः
- ॐ आधार शक्तपे नम: 
- ॐ कूमयि नम:
- ॐ अनंतम नम:
- पृथिव्यै नम:

भगवान विश्‍वकर्मा की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना ॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे ॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे ।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ॥

आप सभी को विश्‍वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं.

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