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जानिए लंकापति रावण के 10 सिरों का रहस्‍य

Alka Kumari

दिल्ली 24 Oct, 2020 05:38 pm

विजयदशमी या दशहरा बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है. प्रभु श्रीराम ने शारदीय नवरात्र की दशमी के दिन ही लंकापति रावण (Ravan) का वध किया था. हर साल दशहरे पर रावण दहन किया जाता है. रावण दहन का मतलब सिर्फ अत्‍याचारी और अहंकारी राक्षस के पुतले को जलाने भर से नहीं है, बल्‍कि इसका मतलब उन सभी बुराइयों के दहन से है जो हमारे अंदर और हमारे समाज में व्‍याप्‍त हैं.

रावण के बारे में कौन नहीं जानता. परम बलशाली, परम ज्ञानी, महादेव का परम भक्‍त और शिव तांडव का रचयिता लंका नरेश रावण को रामायण में 10 सिर और 20 भुजाओं के रूप में दर्शाया गया है. 

रावण को महान विद्वान और अपने समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहा जाता है. वह 65 प्रकार के ज्ञान और हथियारों की सभी कलाओं का मालिक था. रावण को लेकर अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं. रावण के दस सिरों के बारे में कहा जाता है कि उसने कई हजार सालों तक ब्रह्मा जी कठोर तपस्‍या की थी. अपनी तपस्या के दौरान, रावण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए 10 बार अपने सिर को काट दिया. हर बार जब वह अपने सिर को काटता था तो एक नया सिर प्रकट हो जाता था. इस प्रकार वह अपनी तपस्या जारी रखने में सक्षम रहा. अंत में खुद भगवान ब्रह्मा उसकी  तपस्या से प्रसन्न हुए और 10वें सिर के कटने के बाद उसके सामने प्रकट हुए और रावण को कोई भी वरदान मांगने को कहा. इस पर रावण ने अमरता का वरदान मांगा पर ब्रह्मा ने उसे ये वरदान देने से मना कर दिया. लेकिन उन्‍होंने रावण को अमर कर देने वाला अमृत आशिर्वाद स्वरूप भेंट किया. ये अमृत उसकी नाभि में संग्रहित था.

हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि रावण के वास्‍तव में 10 सिर नहीं थे, बल्‍कि वो अत्‍यंत मायावी थी और इस कारण से वह अपने 10 सिर होने का भ्रम पैदा करता था. इस वजह से उसे दशानन भी कहा जाता है. वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि रावण छह दर्शन और चारों वेदों का ज्ञाता था इसलिए उसे दसकंठी कहा जाने लगा. आगे चलकर इस दसकंठी कहे जाने की वजह से माना जाने लगा कि उसके सिर भी दस हैं. यह भी प्रचलित है कि रावण के पास बड़ी-बड़ी नौ मणियां थीं, जिनमें उसके चेहरे का प्रतिबिंब दिखाई देता था. मणियों पर पड़ने वाले सिर के प्रतिबिंब से उसके 10 सिरों का भ्रम पैदा होता था.

वहीं, रावण के स्वरूप को परभाषित करते हुए वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़, ताम्बे जैसे होंठ और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था. वह कोयले के समान काला था और उसकी दस ग्रिह्वा कि वजह से उसके पिता ने उसका नाम दशग्रीव रखा था. रावण को दशानन दश्कंधन आदि नामों से भी जाता है.

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