भारतीय मूल की अमेरिकी साइंटिस्ट गीतांजलि राव को प्रतिष्ठित मैगजीन टाइम (TIME Magazine) ने 'किड ऑफ द ईयर' (Kid of the Year) के खिताब से नवाजा है. गीतांजलि राव (Gitanjali Rao) को ये खिताब दूषित पानी और साइबर बुलीइंग जैसे अहम मुद्दों पर काम करने के लिए दिया गया है. गीतांजली टेक्नोलॉजी की मदद से समस्याएं सुलझाने के लिए जानी जाती हैं. अपने इस हुनर के जरिए उन्होंने खराब पीने के पानी से लेकर, ऑपियॉइ नशे, और साइबर बुलीइंग जैसे मुद्दों को टेक्नोलॉजी के जरिए चौंकाने वाला योगदान दिया है. गीतांजलि ने साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपनी शानदार रिसर्च के दम पर हजारों बच्चों को पछाड़कर ये अवॉर्ड अपने नाम कर लिया है.
Introducing the first-ever Kid of the Year, Gitanjali Rao https://t.co/Hvgu3GLoNs pic.twitter.com/4zORbRiGMU
— TIME (@TIME) December 3, 2020
आइये जानते हैं गीतांजलि राव से जुड़ी बातें..
1. गीतांजलि राव ने सिर्फ 12 साल की उम्र में पानी में सीसा का पता लगाने वाली एक पोर्टेबल डिवाइस विकसित की. राव ने कहा कि फ्लिंट, मिशिगन में पेयजल के संकट ने उन्हें एक ऐसी खोज करने के लिए प्रेरित किया जिसमें पानी के भीतर दूषित पदार्थों का पता लगाकर उन परिणामों को मोबाइल फोन पर भेजा जा सके. गीतांजलि ने मोबाइल की तरह दिखने वाले डिवाइस का नाम 'टेथिस' रखा. डिवाइस को पानी में सिर्फ कुछ सेकेंड तक डालने के बाद बता देता है कि पानी में सीसे की मात्रा कितनी है.
2. गीतांजलि महज 10 वर्ष की थीं जब उन्होंने अपने माता-पिता से कहा था कि वह कार्बन नैनो ट्यूब सेंसर टेक्नोलॉजी पर वाटर क्वॉलिटी रिसर्च लैब में रिसर्च करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि यही बदलाव की शुरुआत थी, जब कोई इस दिशा में काम नहीं कर रहा है तो मैं इसे करना चाहती हूं. सेंसर टेक्नोलॉजी पानी में शामिल दूषित तत्वों का पता लगाने में मदद करती है.
3. गीतांजलि ने साइबर बुलिंग रोकने के लिए किंडली (Kindly) नाम का एक ऐप बनाया. यह शुरुआत में ही साइबर बुलिंग को पकड़ने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ अपनी डिवाइस बनाकर दुनिया की समस्याएं सुलझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि अब मैं दूसरों को भी ऐसा करने के प्रेरित करना चाहती हूं.
4. ऐसा पहली बार नहीं है कि गीतांजलि को उनके काम के लिए खिताब मिला हो. इससे पहले 2019 में उन्हें फोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह मिली थी.
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5. गीतांजली का कहना है कि अगर वे कर सकती हैं तो कोई भी कर सकता है. उनका मानना है कि उनकी पीढ़ी ऐसी समस्याओं का सामना कर रही है जो इससे पहले कभी दिखाई नहीं दी थीं.
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