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कौन थे कुमारास्वामी कामराज? उनके जैसे अध्यक्ष की तलाश आज भी है कांग्रेस को

KRJ Kundan

25 Aug, 2020 06:46 pm

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में विवाद जारी है. CWC की बैठक में जमकर हंगामा हुआ. मीडिया में आयी खबरों में पार्टी के कई नेताओं के नाराज होने की बात सामने आयी. नेतृत्व संकट के बीच सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में फैसला लिया गया है कि फिलहाल सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनी रहेंगी. सात घंटे तक चली बैठक के शुरुआत में सोनिया गांधी ने कहा था कि वह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहती हैं और नए अध्यक्ष की तलाश शुरू करने का आग्रह किया. कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष का पद हमेशा से काफी अहम रहा है. कांग्रेस ने आजादी के बाद से कुल 19 नेताओं को अध्‍यक्ष पद पर बिठाया है. इनमें नेहरू-गांधी खानदान के पांच लोग हैं. 2017 में जब राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी तो वे इस परिवार के पांचवें ऐसे शख्‍स बन गए थे.

पिछले 2 दशक से कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथों में है. कई तरफ से यह मांग उठती रही है कि कमान परिवार के बाहर के किसी सदस्य को दिया जाए. कांग्रेस में जब भी गैरकांग्रेसी अध्यक्ष की बात होती है तो लोगों के बीच के कामराज की चर्चा होती है. के कामराज कांग्रेस के परिवर्तनकारी अध्यक्ष साबित हुए थे. कामराज 1963 मैं कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. उन्हें आजाद भारत का पहला ‘किंगमेकर’कहा जाता है. 

1960 के दशक की शुरुआत में जब लगातार सत्ता में रहने के कारण कांग्रेस की पकड़ में आम लोगों के बीच कमजोर हो रही थी तो कामराज संकट मोचक बन कर आए थे. के कामराज ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से हैदराबाद में कहा कि कांग्रेस की संगठन से पकड़ कमजोर होती जा रही है. उन्होंने नेहरू को एक प्लान दिया, जिसे ‘कामराज प्लान’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने नेहरू को सुझाव दिया कि पार्टी के बड़े नेता सरकार में अपने पदों से इस्तीफा दे दें और अपनी ऊर्जा कांग्रेस पार्टी के संगठन को मजबूत करने में लगाए. 

कामराज के प्लान के अनुसार उस दौरान कामराज, बीजू पटनायक और एसके पाटिल सहित 6 मुख्यमंत्रियों और मोरारजी देसाई, जगजीवन राम और लाल बहादुर शास्त्री सहित 6 मंत्रियों ने अपने पद को छोड़ दिया था. इसके बाद ये सभी पार्टी के लिए काम करने में जुट गए थे. सरकार में पद छोड़कर पार्टी में काम करने के इसी प्लान को कामराज प्लान कहा जाता है.

 ऐसा माना जाता है कि इस प्लान की बदौलत वह केंद्र में इतने मजबूत हो गए कि जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की रही. इसके बाद वह तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे.  लेकिन कामराज नि: स्वार्थ भाव से पार्टी के लिए समर्पित नेता माने जाते थे. कहा जाता है कि 13 जनवरी 1966 को जब कुमारस्वामी कामराज को प्रधानमंत्री बनने के लिए पार्टी की तरफ से दवाब बनाया गया तो उन्होंने कहा, ''नो हिंदी, नो इंग्लिश, हाउ?'' मामला यह था कि कामराज महज तमिल भाषा को लेकर ही सहज थे. ऐसे में उन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया. उनका मानना था कि बिना हिंदी और बिना अंग्रेजी के देश का नेतृत्व कर पाना आसान नहीं है. 

के. कामराज से लेकर सीताराम केसरी तक कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार से अलग कई अध्यक्षों को अजमाया लेकिन उनके जैसा कुशल और पार्टी के लिए समर्पित नेता की तलाश कांग्रेस पार्टी को आज भी है.

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