जिस तरह सावन का महीना और सोमवार का दिन भोलेनाथ शिव शंकर को प्रिय है, उसी तरह बेलपत्र भी महादेव को अत्यंत प्रिय है. यही वजह है कि बेलपत्र को सदियों से बेहद पवित्र माना गया है. और तो औरबेलपत्र के बिना शिव की पूजा अधूरी समझी जाती है.
बेलपत्र क्या है?
बेल या बिल्व के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं. बेल के पेड़ की खास बात यह है कि इसमें तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं, लेकिन इन्हें एक ही पत्ती माना जाता है. बेलपत्र को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं. कुछ लोग इन तीन पतृतियों को त्रीदेव का रूप मानते हैं. त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कहा जाता है. वहीं कुछ लोग बेलपत्र की तीन पत्तियों को शिव के त्रिशूल से जोड़कर देखते हैं. कुछ पौराणिक मान्यताओं में में बेलपत्र को महादेव की तीन आंखों का प्रतीक भी माना जाता है.
बेलपत्र का महत्व
हिन्दू धर्म में बेलपत्र का विशेष महत्व है. शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है. यही नहीं दरिद्रता भी दूर होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि बेल का पेड़ लगाने से सभी पापों का नाश होता है. हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस स्थान पर बेलपत्र का वृक्ष होता है वह काशी के बराबर पवित्र स्थल बन जाता है. कहा भी गया है "दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनम् पाप नाशनाशनम्." अर्थात् बेलपत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है.
बेलपत्र के प्रकार
बेलपत्र मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:
शिवजी को क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र?
बेलपत्र भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं.
बेलपत्र तोड़ने के नियम
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को चढ़ाने वाले फूल-पत्तियों को चढ़ाने के कुछ नियम बताए गए हैं. ठीक उसी तरह शिव प्रिय बेलपत्र को चढ़ाने के भी नियम हैं. बेलपत्र तोड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
-बेलपत्र तो़ड़ने से पहले और बाद में पेड़ को प्रणाम करें और बेलपत्र तोड़ने की अनुमति मांगें.
-चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों के अलावा संक्रांति और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए. ऐसे में पहले से ही बेलपत्र तोड़कर रख लें.
- कभी भी बेलपत्र की पूरी टहनी न तोड़ें, बल्कि टहनी से चुन-चुन कर बेलपत्र तो़ड़ें.
-बेलपत्र ऐसे तोड़ें कि उसके पेड़ को तनिक भी नुकसान न पहुंच पाए.
- पत्तियां कटी या टूटी हुई नहीं होनी चाहिए और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए.
-बेलपत्र की एक और विशेषता है कि पहले से चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर बार-बार महादेव को अर्पित किया जा सकता है.
कहते हैं कि महादेव इतने भोले हैं कि वे अपने भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से भी इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि वे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. तभी तो उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन बेलपत्र और जल चढ़ाने से वे अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं.
देवादि देव महादेव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें.
सावन सोमवार की व्रतकथा सुनकर करें भगवान महादेव की अराधना
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