कोरोना के आने के बाद ट्विटर आंदोलनों का एक बड़ा केंद्र बन चुका है. मैं ट्विटर पर काफी एक्टिव हूं, जब भी ट्विटर खोलता हूं तो पॉलिटिकल मुद्दों के अलावा छात्रों के मुद्दें भी ट्रेडिंग भी दिखाई देते हैं. हालांकि वो बात अलग है कि राजनीतिक मुद्दों पर खबरें छपती हैं, टीवी पर डिबेट होती है लेकिन छात्रों की परेशानी पर कोई बात नहीं करता. आत्मनिर्भर बन रहे भारत में छात्रों का हाल यह है कि लाखों ट्वीट करने के बाद भी शासन और प्रशासन में बैठे लोग इन्हें नजर अंदाज कर देते हैं. सरकारी भर्तियों पर सैकड़ों रिपोर्ट कर चुका हूं, लगता था कि सिर्फ नौकरी मांगने पर ही सिस्टम हाथ खड़ा कर देता है. लेकिन शिक्षा व्यवस्था का हाल भी भर्ती व्यवस्था की तरह ही है. ICAI CA के छात्रों का हाल देख लिजिए, पिछले कई महीनों से छात्र परीक्षा को सुरक्षित तरीके से कराने की मांग कर रहे हैं.
छात्रों का कहना है कि वे एग्जाम के लिए तो तैयार हैं लेकिन क्या ICAI उनके लिए गाइडलाइन और FAQ जारी करने को तैयार है? सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर को ICAI से कहा था कि वह एक प्रेस रिलीज जारी करे जिसमें छात्रों के सवालों के जवाब भी हों. मगर आईसीएआई ने ऐसा नहीं किया. इतना ही नहीं 21 नवंबर से शुरू होने वाले एग्जाम के लिए आईसीएआई 17 नवंबर तक परीक्षा केंद्र बदलता है. एग्जाम से 3-4 दिन पहले तक छात्रों के परीक्षा केंद्र बदले जाते हैं. कई छात्रों के परीक्षा केंद्र 30 से लेकर 200 किलोमीटर तक दूर हैं. सोचिए किसी छात्र का परीक्षा केंद्र एग्जाम से 4 दिन पहले 20 किलोमीटर से उठाकर 150 किलोमीटर की दूरी पर कर दिया जाए तो इतने कम समय में वह ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था कैसे करेगा?
परीक्षा केंद्र बदले जाने से ज्यादा बुरा यह है कि ICAI किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रहा है. ICAI के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर छात्रों को बस यह जानकारी दी जाती है कि एग्जाम तय समय पर होंगे. मेल पर भी यही जवाब आता है. क्या ICAI ने कर्मचारियों को कॉपी पेस्ट करने के लिए बैठा रखा है? या ICAI ने ठान लिया है कि किसी भी हाल में वह छात्रों की बात नहीं सुनेगे..
देश के इतने बड़े संस्थान का यह रवैया सही नहीं है. लेकिन कर भी क्या सकते हैं, जब ICAI के अध्यक्ष मीडिया के लोगों का नंबर ब्लॉक कर सकते हैं तो छात्रों का तो बहुत आम बात हैं. हमने छात्रों की समस्याओं पर कई स्टोरी की. इसके बाद हमने ICAI का पक्ष जानने के लिए ICAI के अध्यक्ष अतुल गुप्ता से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने जवाब देना तो दूर उलटा नंबर ही ब्लॉक कर दिया. 3 बार रिंग जाने के बाद हर बार उनका फोन व्यस्थ बताता रहा, इससे तो दो ही चीजें साबित होती हैं पहली कि या तो वह बहुत व्यस्थ हैं या सवालों से बचने के लिए उन्होंने नंबर ब्लॉक कर दिया है.
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खैर यह सब इतना भी बुरा नहीं है, बुरा तो यह है कि ICAI अब हर ट्वीट पर रिप्लाई बंद रखता है जिससे कि कोई छात्र ट्विटर पर शिकायत न लेकर आए. बड़ा गजब सिस्टम है न? इससे गजब-गजब भी कई चीजें है. इनमें से पहली यह कि ICAI ने मेंबर्स के लिए 1 दिन का होने वाला एग्जाम पोस्टपोन कर दिया है. लेकिन जिन छात्रों का 21 से लेकर 14 दिसंबर तक एग्जाम हैं उनके लिए गाइडलाइन तक जारी नहीं की है.
मेरे पास पिछले 2 दिनों में सैकड़ों छात्रों के मैसेज आए हैं. सभी की एक ही परेशानी है कि एग्जाम को लेकर कोई प्रॉपर गाइडलाइन क्यों नहीं है? एक छात्र ने कहा कि सेंटर पर आइसोलेशन रूम नहीं है, ऐसे में अगर कोई छात्र कोविड पॉजिटिव हुआ तो बाकी छात्रों की सुरक्षा का जिम्मे कौन लेगा? छात्रों के इन सवालों के जवाब मिलेंगे भी या नहीं क्योंकि ICAI सवालों से भाग रहा है. इससे साफ पता चल रहा है कि ICAI एग्जाम कराने के लिए तैयार नहीं है और अगर वह तैयार है तो उसे निर्माणधीन बिल्डिंग को परीक्षा केंद्र क्यों बनाना पड़ रहा है? जी हां, ICAI का एक सेंटर ऐसा भी है जो निर्माणधीन है. यह सेंटर झारखंड के हजारीबाग में है. सेंटर का नाम ज्ञान ज्योती कॉलेज ऑफ फार्मेसी है. अब छात्र मास्क के साथ हेल्मट भी पहनकर जाए क्या?
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छात्रों की परेशानियां इतनी हैं कि मैं उन सब को यहां नहीं लिख सकता. लेकिन मुख्य विषय जो है वो यह कि जिस तरह से एग्जाम सेंटर बदले जा रहे हैं, सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं है और जिस तरह से ICAI जवाब नहीं दे रहा है, इन सभी मुद्दों को देखकर अब छात्र चाहते हैं कि किसी तरह से कुछ दिनों के लिए परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाए. छात्रों का कहना है कि उनकी तैयारी तो पूरी है, मगर मानसिक रूप से वे तैयार नहीं है. कई छात्रों के मन में डर है जिसे ICAI को दूर करने की जरूरत है, लेकिन डर दूर करना तो दूर ICAI किसी एक सवाल का जवाब तक नहीं दे रहा. एग्जाम 21 नवंबर से है, अब देखना यह है कि ICAI एग्जाम पोस्टपोन करता है, गाइडलाइन जारी करता है या ट्विटर पर हो रहे आंदोलन को नजर अंदाज कर चुप्पी साधे बैठा रहता है...
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