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ब्लॉग: SSC और रेलवे के छात्रों के आंदोलन पर चुप क्यों है सरकार?

Archit Gupta

नई दिल्ली 03 Sep, 2020 05:42 pm

भर्ती निकाले तो इम्तिहान नहीं
परीक्षा हो तो परिणाम नहीं
परिणाम निकले तो ज्वाइनिंग का नाम नहीं
आखिर क्यों युवाओं का सम्मान नहीं?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह कविता सरकारी भर्ती की लचर प्रक्रिया को बयां कर रही है. वैकेंसी निकलती है तो एग्जाम नहीं होता, एग्जाम हो जाता है तो रिजल्ट नहीं आ पाता और अगर रिजल्ट आ जाता है तो समय पर उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिल पाती. इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्टाफ सेलेक्शन कमीशन और रेलवे भर्ती बोर्ड की भर्तियां हैं. देश के 2 सबसे बड़े आयोग जो हर साल बड़ी संख्या में वैकेंसी निकालते हैं. रेलवे और एसएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है. एसएससी कई तरह के एग्जाम कराता है, जिसके जरिए पुलिस विभाग से लेकर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में खाली पड़े पदों को भरा जाता है. हर साल कई एग्जाम का नोटिफिकेशन आता है लेकिन एक भी भर्ती 1-2 साल के अंदर पूरी नहीं हो पाती. एसएससी सीजीएल 2017 की भर्ती के कई उम्मीदवारों को अब तक नियुक्ति नहीं मिली है. आयकर विभाग के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति का कोई अता पता नहीं है.

सीजीएल 2018 की बात करें तो इसका टियर 3 का रिजल्ट अब तक नहीं आया है, जिसके कारण हजारों छात्र परेशान हैं. 2018 में आई भर्ती का तीसरा चरण अब तक पूरा नहीं हुआ है, ऐसे में इस भर्ती के 3 साल हो जाने के बाद भी इसका पूरा हो पाना संभव नहीं है. इसी प्रकार से एमटीएस 2019 भर्ती के पेपर 2 का रिजल्ट और जूनियर इंजीनियर 2018 पेपर 2 परीक्षा का रिजल्ट भी नहीं आया है. इन सभी भर्तियों के रिजल्ट की मांग करते हुए छात्र ट्विटर पर आंदोलन कर रहे हैं. रेलवे की भर्तियों की बात करें तो यहां 2018 में आई ALP, टेक्नीशियन भर्ती के हजारों उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिली है. इतना ही नहीं आर्टिकल 370 हटाने, CAA लाने और राम मंदिर बनवाने में लगी सरकार फरवरी 2019 में निकाली गई NTPC और Group D परीक्षा की तारीख तक तय नहीं कर पाई है.

साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले रेल मंत्री पीयूष  गोयल ने एनटीपीसी के 35 हजार से ज्यादा और ग्रुप डी के 1 लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती की घोषणा की. इन दोनों ही भर्तियों के लिए परीक्षाएं पिछले साल जून से सितंबर के बीच होने की बात कही गई थी, लेकिन अक्टूबर में एक नोटिस जारी कर रेलवे भर्ती बोर्ड ने कहा था कि वे परीक्षा कराने के लिए एक एजेंसी की तलाश कर रहे हैं. अक्टूबर 2019 से अब तक सरकार परीक्षाएं कराने के लिए एक एजेंसी नहीं ढूढ़ पाई. कोरोना काल में देश को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है लेकिन रोजगार के बिना अब युवा बस दिन रात ट्विटर पर अपना मुद्दा ट्रेंड करवाने में लगा हुआ है.

पिछले कुल दिनों से रोज SSC और रेलवे की परीक्षा के उम्मीदवार #SpeakUpForSSCRailwaysStudents ट्रेंड करवा रहे हैं. आज ट्विटर पर हैशटैग #speakup ट्रेंड कर रहा है. लेकिन हैरानी की बात है कि रोज 2-4 मिलियन ट्वीट किए जाने के बाद भी आयोग के अधिकारियों और सरकार के मंत्रियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही. आज सोशल मीडिया के जरिए ही लोग एक सूत्र में बंध रहे हैं, अगर सरकार इसे इग्‍नोर कर रही है तो यह एक बहुत बड़ी भूल है. करोड़ों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और कोरोना के चलते वे ट्विटर पर आंदोलन कर रहे हैं.

लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार के किसी भी मंत्री ने छात्रों की समस्याओं पर एक प्रेस कांफ्रेंस तो छोड़ों एक ट्वीट भी नहीं किया. नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी यानी NRA की उपलब्धियां गिना रहे मंत्रियों के ट्वीट पर रिप्लाई कर लाखों छात्र अपनी समस्या बता रहे हैं, लेकिन मंत्री जी आंखें बंद कर चुप्पी साधे बैठे हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि SSC और रेलवे के छात्रों के आंदोलन पर सरकार चुप क्यों हैं? क्या सत्ता के नशे में चूर नेताओं को 4 मिलियन ट्वीट नहीं दिखाई दे रहे हैं या छात्रों के आंदोलन को वे देखना ही नहीं चाहते?
 

VIDEO: SSC और रेलवे के इन छात्रों की बात एक बार जरूर सुने मोदी सरकार..

 

 

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