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UN ने कहा, अब दुनिया कोरोना महामारी खत्‍म होने का सपना देख सकती है

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 05 Dec, 2020 11:50 am

संयुक्‍त राष्‍ट्र (United Nations) के स्‍वास्‍थ्‍य प्रमुख ने शुक्रवार को ऐलान किया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ चल रहे वैक्‍सीन ट्रायल में मिले सकारात्‍मक परिणामों का मतलब है कि दुनिया अब महामारी के खत्‍म होने का सपना देखना शुरू कर सकती है. इसी के साथ उन्‍होंने यह भी कहा कि धनवान और शक्तिशाली राष्‍ट्रों को वैक्‍सीन की भगदड़ में गरीब और हाशिए पर खड़े देशों को कुचलना नहीं चाहिए.

महामारी पर आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र आम सभा की पहली उच्‍च स्‍तरीय बैठक में अपने संबोधन के दौरान विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने चेताते हुए कहा कि वायरस हो सकता है रुक जाए, लेकिन आगे का रास्‍ता जोखिम भरा होगा.

"करुणा और त्‍याग से ओत-प्रोत कार्यों", "विज्ञान और अन्‍वेषण के सांस थाम देने वाले कमाल" और "दिल छू जाने वाली एकजुटता के प्रदर्शन", लेकिन "स्‍वार्थ", "आरोप-प्रत्‍यारोप" और "विभाजन का जिक्र करते हुए" ट्रेड्रोस ने कहा कि महामारी ने मानवता को उसके "सर्वोत्तम और सबसे खराब स्‍तर" को दिखाया है.

संक्रमण और उससे होने वाली मौतों की वर्तमान लहर के बारे में बात करते हुए ट्रेड्रोस ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, "जहां विज्ञान साजिश के सिद्धांतों से डूब गया है, जहां विभाजन से एकजुटता को कम किया जा रहा है, जहां बलिदान को स्वार्थ के साथ प्रतिस्थापित किया जाता है, वहां वायरस पनपता है, वायरस फैलता है."

संयुक्‍त राष्‍ट्र की इस उच्‍च स्‍तरीय बैठक में अपने वर्चुअल संबोधन के दौरान उन्‍होंने कहा, "वैक्‍सीन उन कमजोरियों को दूर नहीं करेगी जो इसके मूल में हैं." उन्‍होंने कहा कि महामारी के खत्‍म होने के बाद गरीबी, भुखमरी, असमानता और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से अवश्‍य ही निपटना होगा.    

उन्‍होंने कहा, "हम उत्पादन और उपभोग के समान शोषणकारी पैटर्न पर वापस नहीं जा सकते हैं, जो हमारे उस ग्रह की अवहेलना करता है, जहां संपूर्ण जीवन का पोषण होता है. घबराहट और हस्‍तक्षेप का वही चक्र और उसी विभाजनकारी राजनीति ने इस महामारी को हवा दी है."

वैक्‍सीन पर टेड्रोस ने कहा, "सुरंग के आखिर में दिख रही रोशनी अब तेज होती जा रही है. लेकिन वैक्‍सीन को वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में समान रूप से साझा किया जाना चाहिए, न कि निजी वस्तुओं के रूप में, जो असमानता की खाई को और गहरा करती है और कुछ लोगों के पीछे रह जाने का एक अन्‍य कारण बन जाती हैं."

टेड्रोस ने कहा कि सालों की चेतावनी के बावजूद कई देश महामारी के लिए तैयार नहीं थे और यह मानते थे कि उनकी स्वास्थ्य प्रणालियां उनके लोगों की रक्षा करेंगी. उन्होंने कहा कि सार्स, मर्स, हनी और अन्य संक्रामक रोगों का प्रकोप झेल चुके कई देशों ने इस संकट से निपटने में बढिया काम किया है.

आपको बता दें कि महामारी से निपटने में WHO की भूमिका की शुरुआत से काफी आलोचना होती रही है. 

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