कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के खिलाफ आदेश जारी कर 60 करोड़ 28 लाख रुपये की बकाया राशि 15 दिनों के अंदर जमा कराने को कहा है. फैसले की कॉपी www.thelastbreaking.com के पास मौजूद है. यह राशि वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2012 के बीच की है.
EPFO ने 30 मार्च 2021 को जारी अपने 23 पेज के आदेश में कहा कि सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को अपना पक्ष रखने के लिए 96 मौके दिए लेकिन सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ईपीएफ अकाउंट में जमा कराई गई राशि से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने में नाकाम रही. अपने आदेश में ईपीएफओ ने कहा है कि सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ने ईपीएफ अकाउंट में कोई राशि जमा नहीं कराए हैं. फैसले की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है. ज्ञात हो कि इससे पहले सहारा इंडिया से जुड़ी अन्य कंपनियों पर भी बकाया राशि को लेकर ईपीएफओ आदेश जारी कर चुका है.
ईपीएफ में कंपनी द्वारा जमा किए जाने वाली राशि को लेकर वर्ष 2012 में सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और पहली बार 28 सितंबर 2012 को नोटिस जारी कर सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को ईपीएफओ की सुनवाई में शामिल होने के लिए 12 अक्टूबर 2012 को उपस्थित होने को कहा गया. इस मामले में 26 मार्च 2021 को अंतिम रिपोर्ट जमा की गई. द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध आदेश की कॉपी में बात का जिक्र है कि 8 वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को 96 मौके दिए गए ताकि वो ईपीएफ में अपने हिस्से की जमा राशि को जमा कराये जाने का दस्तावेज प्रस्तुत कर सके.
इस बीच 5 अक्टूबर 2017 को सुनवाई में उपस्थित नहीं रहने के कारण सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के खिलाफ ईपीएफओ ने 8 साल सुनवाई की. अपने आदेश में ईपीएफओ ने कहा है कि सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ने जानबूझकर अधूरी सैलरी सीट जमा कराई. ईपीएफओ की जांच के दौरान पाया कि बैलेंस सीट में जो जानकारी उपलब्ध कराई गई और सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ने जो जानकारी दी, उन दोनों में काफी अंतर था.
ईपीएफओ ने अपने आदेश में सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को 60 करोड़ 28 लाख 41 हजार 7 सौ सत्तर रुपये 15 दिनों के अंदर जमा कराने को कहा है. अगर 15 दिनों के अंदर सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड बकाया राशि जमा नहीं करती है तो उसके बाद ईपीएफओ बिना किसी पूर्व सूचना के वसूली की कार्रवाई कर सकती है.
इससे पहले ईपीएफओ ने सहारा इंडिया को 1181 करोड़ रुपये का बकाया जमा कराने के लिए 15 फरवरी, 2021 को आदेश जारी किया था. आदेश की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है. इससे जुडी खबर को आप यहां पढ़ सकते हैं.
सुब्रत रॉय की सहारा इंडिया को एक और झटका, EPFO ने मांगा 1181 करोड़ का PF बकाया
इससे पहले सहारा इंडिया की एक और कंपनी सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को ईपीएफओ ने 62 करोड़ 48 लाख रुपये जमा कराने का आदेश दिया था.
आपको बता दें कि 23 मार्च 2021 को सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ जारी किए गए आदेश में ईपीएफओ ने साफ-साफ कहा था कि सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जांच में असहयोगात्मक रवैया अपनाया जिसके कारण यह मामला 7 साल 10 महीने चला. इस दौरान कई अफसर आएं और चले गए लेकिन सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को दिए गए 107 मौके पर कंपनी की ओर से सभी कागजात सहित कोई अधिकारी पेश नहीं हो पाया. सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 62 करोड़ 48 लाख रुपये जमा कराने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है जो कि 7 अप्रैल 2021 तक पूरा हो जाएगा. आदेश में साफ कहा गया है कि अगर दिए गए समय पर सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड अपना बकाया जमा नहीं कर पाती है तो ईपीएफओ ऐक्ट के तहत कार्रवाई होगी.
इससे पहले भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 74 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था. इस आदेश की प्रति दी लास्ट ब्रेकिंग के पास भी मौजूद है. आप उसे यहां (Click Here) पढ़ सकते हैं. IRDA ने 30 दिसंबर 2020 को यह आदेश जारी किया था और कहा था कि तीन महीने के भीतर उपरोक्त रकम जमा कराए. IRDA ने वर्ष 2015 में सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विरूद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू किया था.
इस मामले की पृष्ठभूमि में IRDA ने कहा कि 3 दिसंबर 2013 को 157 नये ऑफिस खोलने की अनुमति दी गई थी लेकिन एक भी ऑफिस नहीं खोले गए. 65फीसदी प्रिमियम नगद जमा कराए गए. IRDA ने 21 पेज के अपने आदेश में सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की सभी गतिविधियों को विस्तार से लिखा है.
सहारा इंडिया के खिलाफ अभी कई और मामले चल रहे हैं जिस पर फैसला आना बाकी है.
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