तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर विभिन्न जाति और समुदाय के लोगों के बीच मतभेद पैदा करने का आरोप लगाया. तृणमूल प्रतिनिधिमंडल ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की. तृणमूल प्रतिनिधिमंडल में डेरेक ओ'ब्रायन, कल्याण बनर्जी, प्रतिमा मंडल और शांतनु सेन शामिल रहे.
चुनाव आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में तृणमूल ने कहा, "हम आपके नोटिस में तृणमूल कांग्रेस के प्रति बंगाल चुनाव आयोग के दृष्टिकोण के संबंध में मामलों की विवादास्पद स्थिति सामने रख रहे हैं."
तृणमूल ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ अपनी शिकायत में घटनाक्रम को तीन श्रेणियों में सूचीबद्ध किया है - निर्वाचन आयोग द्वारा कार्रवाई न किया जाना, निर्वाचन आयोग द्वारा कम कार्रवाई करना और निर्वाचन आयोग द्वारा ज्यादा कार्रवाई किया जाना.
आयोग की ओर से निष्क्रियता का उदाहरण देते हुए, तृणमूल प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए दो भाषणों पर भी प्रकाश डाला. इसके साथ ही शाह के एक संवाददाता सम्मेलन का भी हवाला दिया गया, जहां उन्होंने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी ने राज्य में आनंद बर्मन की मृत्यु पर एक भी शब्द नहीं बोला, जो सरासर झूठ है. तृणमूल ने शाह पर जातिगत भेदभाव फैलाने का आरोप लगाया.
तृणमूल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भाषणों को सूचीबद्ध करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं, जो आदर्श आचार संहिता के साथ ही जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन थे.
निर्वाचन आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग का दावा है कि वह भाषणों की निगरानी करता है. हालांकि, उसने ऐसे गंभीर उल्लंघनों पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसमें कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बचे हुए चरणों में प्रचार के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया कि आचार संहिता का उल्लंघन करने के साथ ही ये भाषण अनुचित और महिलाओं के प्रति असम्मानपूर्ण थे. चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई का हवाला देते हुए, तृणमूल के ज्ञापन में कहा गया है कि बनर्जी को 24 घंटे प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. तृणमूल के ज्ञापन में कहा गया है कि यह विश्वास है कि पश्चिम बंगाल के लोग पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करके चुनाव आयोग के इस तरह के अवैध कृत्यों का उचित जवाब देंगे.
ज्ञापन में कहा गया है, "हम चुनाव आयोग से उसके दृष्टिकोण में कुछ निष्पक्षता प्रदर्शित करने का आग्रह करते हैं. वर्तमान में, इसके कार्य सभी निष्पक्षता से रहित हैं. हम चुनाव आयोग से पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनावों के अंतिम चार चरणों में एक स्तरीय प्लेइंग फील्ड सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं.
उधर, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब ने कोविड-19 के बीच प्रचार अभियान से संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. सभी राज्य और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से केवल एक ही प्रतिनिधि भेजने को कहा गया है.
आयोग की पहल कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा जिला प्रशासन और राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को आवश्यक उपाय करने के निर्देश जारी करने के बाद आई है. यह निर्देश इसलिए दिए गए, ताकि चुनाव आयोग द्वारा कोविड संबंधित स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के संबंध में निर्धारित दिशा-निर्देशों को सख्ती से बनाए रखा जाए.
राज्य के सभी राजनीतिक दलों को लिखे गए पत्र में आफताब ने कहा है कि शुक्रवार को उपरोक्त विषय पर सभी राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी. उन्होंने राजनीतिक दलों से इस उद्देश्य के लिए केवल एक प्रतिनिधि भेजने को कहा है.
इस बीच चुनाव आयोग ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों और मतदान वाले जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की और उनसे जिला स्तर के नेताओं से बात करने को कहा, ताकि वे कोविड प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनना और सामाजिक दूरी को बनाए रखें.
आयोग ने जिला प्रशासन को भी सख्त रहने के लिए कहा है और उन्हें सभी कोविड मानदंडों को सख्ती के साथ लागू करने का निर्देश दिया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया है, ताकि चुनाव आयोग द्वारा कोविड से संबंधित स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के संबंध में निर्धारित दिशा-निर्देश का राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों द्वारा कड़ाई से पालन किया जा सके.
अदालत ने स्पष्ट किया है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने में विफल रहने वाले, इसकी उपेक्षा करने वाले या इसे मानने से मना करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए.
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