Shardiya Navratri 2020: नवरात्र के आठवें दिन महागौरी (Mahagauri) का पूजन किया जाता है. मां महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन और आराधना भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी है. मां की कृपा से भक्त को अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि मां के इस स्वरूप की पूजा करने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है.
महागौरी का उदय
देवी शैलपुत्री जब 16 वर्ष की थीं तो वह गौर वर्ण वाली असीमित सुंदरता की धनी थीं. अपने गौर वर्ण के कारण ही उन्हें महा गौरी कहा जाता है. महागौरी को राहु ग्रह की स्वामिनी माना जाता है. मां सफेद वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेताम्बरा भी कहा जाता है. मां
महागौरी का स्वरूप
महागौरी का वर्ण पूर्णतः गौर है और मां का यह स्वरूप अत्यंत शांत है. मां के समस्त वस्त्र और आभूषण भी श्वेत हैं. इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है. महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे का बायां हाथ वर-मुद्रा मे है.
महागौरी का प्रिय रंग और भोग
नवरात्र के आठवें दिन महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. मां के इस स्वरूप की पूजा गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए.
महागौरी मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
महागौरी प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
महागौरी स्तोत्र
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
महागौरी आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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